राजस्थान का सामान्य परिचय

राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य, अपने ऐतिहासिक गौरव, समृद्ध संस्कृति और अद्वितीय भौगोलिक विशेषताओं के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। ‘रजवाड़ों की भूमि’ के नाम से विख्यात यह प्रदेश मरुस्थलीय, पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों का एक अद्भुत संगम है। राजस्थान का सामान्य परिचय हमें इस विशाल राज्य की आधारभूत संरचना, स्थिति और महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने में मदद करता है।


1. भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार

राजस्थान भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी किनारे पर एक महत्वपूर्ण भू-रणनीतिक स्थान रखता है।

  • अक्षांशीय विस्तार: 23∘3′ उत्तरी अक्षांश से 30∘12′ उत्तरी अक्षांश तक।
  • देशांतरीय विस्तार: 69∘30′ पूर्वी देशांतर से 78∘17′ पूर्वी देशांतर तक।
  • कुल क्षेत्रफल: 3,42,239 वर्ग किलोमीटर। यह भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 10.41% है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है।
  • आकृति: राजस्थान की आकृति लगभग विषमकोण चतुर्भुज या पतंगाकार है।
  • विस्तार:
    • उत्तर से दक्षिण लंबाई: लगभग 826 किलोमीटर।
    • पूर्व से पश्चिम चौड़ाई: लगभग 869 किलोमीटर।
    • राज्य की अधिकतम लंबाई से अधिकतम चौड़ाई का अंतर 43 किलोमीटर है।

2. प्रशासनिक इकाइयाँ (नवीनतम अपडेट: दिसंबर 2024)

राजस्थान में हाल ही में हुए प्रशासनिक पुनर्गठन ने जिलों और संभागों की संख्या को बदल दिया है। यह जानकारी दिसंबर 2024 के नवीनतम सरकारी निर्णय पर आधारित है।

  • कुल जिले: वर्तमान में राजस्थान में कुल 41 जिले हैं। (पहले 33, फिर 50 हुए और अब 41 पर पुनः स्थापित)।
  • कुल संभाग: वर्तमान में राजस्थान में कुल 7 संभाग हैं। (पहले 7, फिर 10 हुए और अब 7 पर पुनः स्थापित)।
  • नवीनतम जिले (जो यथावत रखे गए हैं):
    • बाड़मेर से अलग होकर बालोतरा
    • अजमेर से अलग होकर ब्यावर
    • भरतपुर से अलग होकर डीग
    • नागौर से अलग होकर डीडवाना-कुचामन
    • जोधपुर से अलग होकर फलौदी
    • अलवर से अलग होकर खैरथल-तिजारा
    • जयपुर और अलवर से अलग होकर कोटपूतली-बहरोड़
    • उदयपुर से अलग होकर सलूंबर
    • (ध्यान दें: दूदू, केकड़ी, गंगापुर सिटी, नीम का थाना, सांचौर, शाहपुरा, अनूपगढ़, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण – इन 9 जिलों को निरस्त कर दिया गया है।)
  • मुख्य संभाग (जो यथावत रखे गए हैं): जयपुर, जोधपुर, अजमेर, बीकानेर, कोटा, उदयपुर, भरतपुर।
    • (ध्यान दें: सीकर, पाली और बांसवाड़ा संभागों को निरस्त कर दिया गया है।)

3. सीमाएँ

राजस्थान की सीमाएँ न केवल विभिन्न भारतीय राज्यों से जुड़ती हैं, बल्कि यह एक अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी साझा करता है।

  • कुल स्थलीय सीमा: 5920 किलोमीटर।
  • अंतर्राष्ट्रीय सीमा: यह पश्चिमी दिशा में पाकिस्तान के साथ 1070 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जिसे रेडक्लिफ रेखा के नाम से जाना जाता है।
    • सीमावर्ती जिले: श्री गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर। (अनूपगढ़ के निरस्त होने के बाद अब 4 जिले अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हैं)।
    • सर्वाधिक अंतर्राष्ट्रीय सीमा: जैसलमेर (464 किमी)।
    • न्यूनतम अंतर्राष्ट्रीय सीमा: बीकानेर (168 किमी)।
  • अंतर-राज्यीय सीमा: राजस्थान 5 भारतीय राज्यों के साथ 4850 किलोमीटर की सीमा बनाता है।
    • पंजाब: उत्तर में (89 किमी) – सबसे कम अंतर-राज्यीय सीमा।
    • हरियाणा: उत्तर-पूर्व में (1262 किमी)।
    • उत्तर प्रदेश: पूर्व में (877 किमी)।
    • मध्य प्रदेश: दक्षिण-पूर्व में (1600 किमी) – सबसे लंबी अंतर-राज्यीय सीमा।
    • गुजरात: दक्षिण-पश्चिम में (1022 किमी)।
  • केवल अंतर्राष्ट्रीय सीमा वाले जिले: बीकानेर, जैसलमेर। (ये किसी भी भारतीय राज्य से सीमा नहीं बनाते हैं)।
  • अंतर्राष्ट्रीय और अंतर-राज्यीय दोनों सीमाएँ: श्री गंगानगर (पंजाब और पाकिस्तान), बाड़मेर (गुजरात और पाकिस्तान)।

4. प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र

राजस्थान को भौगोलिक रूप से चार प्रमुख भागों में बांटा जा सकता है:

  1. पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश:
    • यह राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 61% है। इसमें थार का मरुस्थल शामिल है।
    • कम वर्षा, रेतीली मिट्टी और शुष्क जलवायु इसकी विशेषता है।
    • प्रमुख नदियाँ: लूनी, घग्गर।
    • यह क्षेत्र खनिज तेल, प्राकृतिक गैस और जिप्सम जैसे खनिजों के लिए महत्वपूर्ण है।
  2. अरावली पर्वतीय प्रदेश:
    • यह विश्व की सबसे प्राचीनतम वलित पर्वतमालाओं में से एक है।
    • राज्य के लगभग 9% क्षेत्र में फैली है। यह एक प्रमुख जल विभाजक का कार्य करती है।
    • सबसे ऊँची चोटी: गुरु शिखर – 1722 मीटर (1727 मीटर, अगर ऊपर मंदिर के ध्वज दंड को शामिल किया जाए)।
    • खनिज संपदा में समृद्ध है, विशेषकर धात्विक खनिज जैसे तांबा, सीसा-जस्ता।
  3. पूर्वी मैदानी प्रदेश:
    • राज्य के लगभग 23% क्षेत्र में फैला है।
    • सिंधु-गंगा के मैदानों का हिस्सा है, जिसमें चंबल, बनास और बाणगंगा जैसी नदियों के उपजाऊ मैदान शामिल हैं।
    • उच्च कृषि उत्पादकता और घनी आबादी वाला क्षेत्र।
  4. दक्षिणी-पूर्वी पठारी प्रदेश – हाड़ौती का पठार:
    • राज्य के लगभग 6.89% क्षेत्र में फैला है।
    • मालवा के पठार का हिस्सा है और ज्वालामुखीय चट्टानों से निर्मित है।
    • काली मिट्टी और अपेक्षाकृत अधिक वर्षा इसकी विशेषता है।
    • यह क्षेत्र कृषि (विशेषकर कपास और सोयाबीन) और वन संपदा के लिए महत्वपूर्ण है।

5. जलवायु

राजस्थान की जलवायु में विविधता है, जहाँ पश्चिमी भाग अत्यधिक शुष्क है, वहीं पूर्वी और दक्षिणी-पूर्वी भाग उप-आर्द्र से आर्द्र और अति-आर्द्र हैं।

  • शुष्क: जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर (0−20 सेमी वर्षा)।
  • अर्द्ध-शुष्क: चूरू, सीकर, नागौर, पाली (20−40 सेमी वर्षा)।
  • उप-आर्द्र: जयपुर, अलवर, अजमेर (40−60 सेमी वर्षा)।
  • आर्द्र: भरतपुर, कोटा, उदयपुर (60−80 सेमी वर्षा)।
  • अति-आर्द्र: झालावाड़, बांसवाड़ा, माउंट आबू (80−150+ सेमी वर्षा)।
  • प्रमुख विशेषताएँ: ग्रीष्मकाल में उच्च तापमान, दैनिक और वार्षिक तापांतर में अधिकता, और अनियमित वर्षा। शीतकाल में पश्चिमी विक्षोभों से होने वाली वर्षा को मावठ कहते हैं, जो रबी की फसलों के लिए लाभदायक है।

6. जनसांख्यिकी

राजस्थान भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में से एक है।

  • जनसंख्या: 6.85 करोड़ (वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार – नवीनतम जनगणना डेटा आने पर यह बदल जाएगा)।
  • जनसंख्या घनत्व: 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।
  • लिंगानुपात: 928 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष।
  • साक्षरता दर: 66.1% (पुरुष: 79.2%, महिला: 52.1%)।
  • राजकीय भाषा: हिंदी और राजस्थानी।
  • प्रमुख जनजातियाँ: भील, मीणा, गरासिया, सहरिया, डामोर आदि।

7. इतिहास एवं संस्कृति

राजस्थान का इतिहास अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली है, जिसमें वीर राजाओं और रानियों की कहानियाँ, युद्ध और बलिदान शामिल हैं।

  • रियासतें: स्वतंत्रता से पहले, यह क्षेत्र कई राजपूत रियासतों, जैसे मेवाड़, मारवाड़, आमेर, कोटा, बीकानेर आदि में बंटा हुआ था।
  • स्थापत्य कला: यहाँ के किले (जैसे चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, आमेर, रणथंभौर), महल (जैसे उदयपुर का सिटी पैलेस, जयपुर का हवा महल) और मंदिर (जैसे दिलवाड़ा जैन मंदिर) विश्व प्रसिद्ध हैं।
  • लोक नृत्य: घूमर (राज्य नृत्य), कालबेलिया, चरी, तेरहताली आदि।
  • लोक संगीत: मांड गायकी (राज्य गीत: केसरिया बालम), लंगा, मांगणियार आदि।
  • त्योहार: गणगौर, तीज, पुष्कर मेला, मरु महोत्सव, ऊँट उत्सव आदि।
  • हस्तकलाएँ: बंधेज, ब्लॉक प्रिंटिंग, लाख का काम, मीनाकारी, ब्लू पॉटरी आदि।

8. अर्थव्यवस्था

राजस्थान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, पशुपालन, खनन और पर्यटन पर आधारित है।

  • कृषि: प्रमुख फसलें बाजरा, ज्वार, गेहूं, जौ, सरसों, दलहन और तिलहन। इंदिरा गांधी नहर पश्चिमी राजस्थान के कृषि परिदृश्य को बदल रही है।
  • पशुपालन: राजस्थान में पशुधन की संख्या अधिक है। ऊंट (राज्य पशु), भेड़, बकरी और गाय महत्वपूर्ण हैं।
  • खनन: यह खनिज उत्पादन की दृष्टि से एक समृद्ध राज्य है। सीसा-जस्ता, चांदी, जिप्सम, रॉक फॉस्फेट, संगमरमर, बलुआ पत्थर आदि प्रमुख खनिज हैं।
  • पर्यटन: राजस्थान एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अपने ऐतिहासिक स्थलों, सांस्कृतिक विरासत, वन्यजीव अभयारण्यों और मरुस्थलीय सौंदर्य के लिए जाना जाता है।

9. राज्य के प्रतीक चिन्ह

राजस्थान ने अपनी अनूठी पहचान को दर्शाने के लिए विभिन्न प्रतीक चिन्हों को अपनाया है:

  • राज्य वृक्ष: खेजड़ी (प्रोसोपिस सिनेरेरिया)
  • राज्य पुष्प: रोहिड़ा (टेकोमेला अंडुलता)
  • राज्य पशु: चिंकारा (गजेला बेनेटी) – वन्यजीव श्रेणी में, और ऊंट (कैमलस ड्रोमेडेरियस) – पशुधन श्रेणी में।
  • राज्य पक्षी: गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड – आर्डियोटिस नाइग्रिसेप्स)
  • राज्य खेल: बास्केटबॉल
  • राज्य नृत्य: घूमर
  • राज्य गीत: केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारे देस
  • राज्य वाद्य यंत्र: अलगोजा

निष्कर्ष

राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो प्राचीनता और आधुनिकता का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है। इसकी भौगोलिक विविधता, समृद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, जीवंत संस्कृति और बदलते प्रशासनिक परिदृश्य इसे अध्ययन और अन्वेषण के लिए एक आकर्षक विषय बनाते हैं। ‘पधारो म्हारे देस’ की भावना के साथ, राजस्थान अपने हर आगंतुक का खुले दिल से स्वागत करता है, अपनी अद्वितीय पहचान को दर्शाता है। यह परिचय इस विशाल और रंगीन राज्य की एक संक्षिप्त झलक प्रदान करता है।

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